राजस्थान के कमलनाथ बनें गहलोत, पायलट ने छोड़ा कांग्रेस का साथ !
राजस्थान में सियासी उठापटक जारी है जिसकी चर्चा अब राजनीतिक गलियारों में भी तेज हो गयी है। दरअसल मध्यप्रदेश में जब से कांग्रेस के हाथ से सत्ता गई तभी से सभी का ध्यान राजस्थान की तरफ है। जिस तरह मध्यप्रदेश में ज्योतिरादित्य सिंधिया और तत्कालीन मुख्यमंत्री कमलनाथ के बीच खींचतान बढ़ गई थी। कांग्रेस विधायक दो खेमों में बंट गए और आखिर में सरकार गिर गई थी, जिसके बाद शिवराज सिंह चौहान ने दोबारा ताज पहना। अब मध्यप्रदेश की ही कहानी राजस्थान में भी दोहराने जा रही है, जिससे राजस्थान सरकार को डर सताने लगा है।
दरअसल, राजस्थान में अब मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और उप-मुख्यमंत्री सचिन पायलट के बीच खींचतान की खबरें सामने आ रही हैं। सचिन पायलट दिल्ली पहुंच चुके हैं और पार्टी के 24 विधायक हरियाणा के होटल में रुके हुए हैं। इसी बीच खबरें आ रही हैं कि विधायकों के फोन बंद आ रहे हैं और पार्टी के नेतृत्व से संपर्क तोड़ लिया है। दूसरी तरफ, मुख्यमंत्री गहलोत ने बीजेपी पर आरोप लगाया है कि मध्यप्रदेश में विधायकों की खरीद-फरोख्त करने के बाद अब राजस्थान पर नज़र है। सीएम गहलोत का कहना है कि बीजेपी राजस्थान में सरकार गिराने के लिए कांग्रेस विधायकों को लालच दे रही है। राजस्थान में मध्यप्रदेश जैसे हालात पैदा होने से सीएम गहलोत की धड़कन तेज हो गई है और डर है कि कहीं वो राजस्थान के कमलनाथ न बन जाये। क्योंकि जिस तरह से मध्यप्रदेश में ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कांग्रेस के 22 विधायकों का इस्तीफा दिलवाया और कमलनाथ को सत्ता गंवानी पड़ी। उसी तरह कही गहलोत को भी पायलट के विद्रोह के बाद करना पड़े।
आपको बता दें कि सीएम गहलोत ने बीजेपी पर विधायकों 25-25 लाख का लालच देकर खरीद खरोख्त का आरोप लगाया है। हालांकि, भाजपा ने इन आरोपों से इनकार किया है और कहा है कि यह कांग्रेस की अंदरूनी उठापटक है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को कई विधायकों और मंत्रियों ने समर्थन पत्र सौंपे है और गहलोत के नेतृत्व पर भरोसा जताया। बता दें कि हाल ही में राजस्थान की सीमा भी सील कर दी गई है। बिना पास राजस्थान से बाहर जाने की इजाजत नहीं है। जिसका कारण सरकार ने कोरोना संक्रमण को बताया, लेकिन अब सरकार के इस फैसले को मौजूदा राजनीतिक घटनाक्रम से जोड़कर देखा जा रहा है ।
आपको बता दे राजस्थान विधानसभा में 200 सदस्य हैं, जिसमें कांग्रेस के 107 विधायक हैं। वहीं, उसे 13 स्वतंत्र विधायकों का समर्थन भी हासिल है। इसके अलावा आरएलडी के एक विधायक ने भी सरकार को समर्थन दिया हुआ है। यानि गहलोत सरकार को 121 विधायकों का समर्थन मिला हुआ है। वहीं, बीजेपी के पास केवल 72 विधायक हैं। अब ये देखना दिलचस्प होगा कि राजस्थान में सियासी उठापटक किस मोड़ पर जाती है।
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