2030 में भारत के लिए मुसीबत बन जाएगी यह समस्या, सरकार कर रही है विचार
दुनिया में जनसंख्या तेजी से बढ़ रही है। लोगों को जागरूक करने के लिए संयुक्त राष्ट्र ( United Nations ) ने हर साल 11 जुलाई को विश्व जनसंख्या दिवस (World Population Day 2020) मनाने का फैसला किया । जिससे लोग जनसंख्या पर ज्यादा ध्यान दें। वहीं भारत और चीन समेत दुनिया के कई विकासशील देशों के लिए बढ़ती जनसंख्या को लेकर परेशान है। कोरोना (Corona ) महामारी के बीच इस साल जनसंख्या में कमी आई है । बता दें कि नोवेल कोरोना वायरस के शुरुआती दौर मार्च-अप्रैल में लॉकडाउन के साथ UNICEF समेत तमाम कई एजेंसियों ने अनुमान लगाया था कि अब दुनिया में जन्म दर तेजी से बढ़ेगी और अगले साल आबादी पर इसका असर काफी ज्यादा दिखेगा। लेकिन अब इसके उलट अंदाजा लगाया जा रहा है। हालांकि मई से जुलाई में कोरोना महामारी के बढ़ते संकट के साथ अब अमेरिका, यूरोप और एशियाई देशों में जन्म दर में 30 से 50 प्रतिशत तक कमी की अनुमान जताया गया है।
आपको बता दें कि दुनिया की जनसंख्या 11 जुलाई 1989 को पांच अरब हुई। बढ़ती जनसंख्या को लेकर कुछ लोग समझ चुके थे कि यह आगे चलकर कितनी बड़ी समस्या का रूप लेनेवाला है। साल 1989 में संयुक्त राष्ट्र ने इस दिन को world population day ऐलान किया था। तब से दुनिया के हर कोने में इस दिन को मनाया जाता है और जनसंख्या कंट्रोल करने के लिए तरह-तरह से प्रोत्साहित किया जाता है।
विश्व जनसंख्या दिवस हर वर्ष 11 जुलाई को मनाया जाने वाला कार्यक्रम है। इसका उद्देश्य जनसंख्या सम्बंधित समस्याओं पर वैश्विक चेतना जागृत करना है। यह आयोजन साल 1989 में संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम की गवर्निंग काउंसिल द्वारा स्थापित किया गया था । यह 11 जुलाई 1987 को पांच बिलियन दिवस में सार्वजनिक हित से प्रेरित था, जिसकी अनुमानित तारीख जिस पर दुनिया की आबादी पांच अरब लोगों तक पहुंच गई थी। विश्व जनसंख्या दिवस का उद्देश्य विभिन्न जनसंख्या मुद्दों पर लोगों की जागरूकता बढ़ाना है जैसे कि परिवार नियोजन, लिंग समानता , गरीबी , मातृ स्वास्थ्य और मानव अधिकारों का महत्व ।
गौरतलब है कि कोरोना महामारी होने से जनसंख्या में पहले से कमी आई है । इसकी पीछे सोशल डिस्टेंसिंग को वजह मानते हैं। वहीं फ्रांस, जर्मनी, डेनमार्क, स्वीडन, फिनलैंड, नार्वे , आइसलैंड और भारत के कई युवा दंपतियों ने फिलहाल बीमारी की वजह से बच्चा करने का फैसला अभी के लिए टाल दिया है। कोविड -19 के वजह से तमाम देशों में लोग ऐसा ही सोच रहे हैं। चीन साल 1979 की एक-बाल नीति को वापस स्थापित करने के लिए अच्छी तरह से जाना जाता है , आंकड़ों के मुताबिक केवल भारत में हर मिनट 25 बच्चे पैदा होते हैं अगर भारत ने अपनी तेजी से बढ़ रही जनसंख्या की दर कम करने के लिए जल्दी कुछ ठोस कदम नहीं उठाए तो 2030 तक वह विश्व में सबसे बड़ी आबादी वाला राष्ट्र बन जाएगा। वहीं आज जनसंख्या दिवस पर भारत में #TwoChildPolicy जैसे हैशटैग ट्रेंड कर रहे थे। यहां सबकी मांग थी कि सरकार को बढ़ती जनसंख्या को रोकने के लिए टू चाइल्ड पॉलिसी, मतलब अधिकतम देश में दो बच्चों वाला कानून लाना चाहिए
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